Guru Is God

Wednesday, July 15, 2020

Guru Is God

गुरू बिन मोक्ष नही




प्रश्न:- क्या गुरू के बिना भक्ति नहीं कर सकते?
उत्तर:- भक्ति कर सकते हैं, परन्तु व्यर्थ प्रयत्न रहेगा।

प्रश्न:- कारण बताऐं?
उत्तर:- परमात्मा का विधान है जो सूक्ष्मवेद में कहा है 

कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोंनो निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।

कबीर, राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हों भी गुरू कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरू आगे आधीन।।

कबीर, राम कृष्ण बड़े तिन्हूं पुर राजा। तिन गुरू बन्द कीन्ह निज काजा।।

भावार्थ:- गुरू धारण किए बिना यदि नाम जाप की माला फिराते हैं और दान देते हैं, वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आप जी को संदेह हो तो अपने वेदों तथा पुराणों में प्रमाण देखें।

श्रीमद् भगवत गीता चारों वेदों का सारांश है। गीता अध्याय 2 श्लोक 7 में अर्जुन ने कहा कि हे श्री कृष्ण! मैं आपका शिष्य हूँ, आपकी शरण में हूँ। गीता अध्याय 4 श्लोक 3 में श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके काल ब्रह्म ने अर्जुन से कहा कि तू मेरा भक्त है। पुराणों में प्रमाण है कि श्री रामचन्द्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी से नाम दीक्षा ली थी और अपने घर व राज-काज में गुरू वशिष्ठ जी की आज्ञा लेकर कार्य करते थे। श्री कृष्ण जी ने ऋषि संदीपनि जी से अक्षर ज्ञान प्राप्त किया तथा श्री कृष्ण जी के आध्यात्मिक गुरू श्री दुर्वासा ऋषि जी थे।

कबीर परमेश्वर जी हमें समझाना चाहते हैं कि आप जी श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से तो किसी को बड़ा अर्थात् समर्थ नहीं मानते हो। वे तीन लोक के मालिक थे, उन्होंने भी गुरू बनाकर अपनी भक्ति की, मानव जीवन सार्थक किया। इससे सहज में ज्ञान हो जाना चाहिए कि अन्य व्यक्ति यदि गुरू के बिना भक्ति करता है तो कितना सही है? अर्थात् व्यर्थ है।



गुरू के बिना देखा-देखी कही-सुनी भक्ति को लोकवेद के अनुसार भक्ति कहते हैं। लोकवेद का अर्थ है, किसी क्षेत्रा में प्रचलित भक्ति का ज्ञान जो तत्वज्ञान के विपरीत होता है। लोकवेद के आधार से यह दास (संत रामपाल दास) श्री हनुमान जी, बाबा श्याम जी, श्री राम, श्री कृष्ण, श्री शिव जी तथा देवी-देवताओं की भक्ति करता था। हनुमान जी की भक्ति में मंगलवार का व्रत, बुन्दी का प्रसाद बाँटना, स्वयं देशी घी का गिच चुरमा खाता था, बाबा हनुमान को डालडा वनस्पति घी से बनी बुन्दी का भोग लगाता था। हरे राम, हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे का मन्त्र जाप करता था। किसी ने बता दिया कि:-

ओम् नाम सबसे बड़ा, इससे बड़ा न कोय।
ऊँ नाम का जाप करे, तो शुद्ध आत्मा होय।।

इस कारण से ओम् नाम का जाप शुरू कर दिया। ओम् नमो शिवायः, यह शिव का मन्त्रा जाप करता था। ओम् भगवते वासुदेवायः नमः, यह विष्णु जी का जाप करता था। तीर्थों पर जाना, दान करना, वहाँ स्नान करना, यह भी लोकवेद
के आधार से करने जाता था।

जैसे घर में सुख होते थे तो मैं मानता था कि ये सब मेरी उपरोक्त भक्ति के कारण हो रहे हैं। जैसे कक्षा में पास होना, विवाह होना, पुत्रा तथा पुत्रियों का जन्म होना, नौकनी लगना। ये सर्व सुख उपरोक्त साधना से ही मानता था। 



कबीर परमेश्वर जी ने सूक्ष्म वेद में कहा है:-

कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दीन्हा हाथ।।

भावार्थ है कि साधक लोकवेद अर्थात् दन्त कथा के आधार से भक्ति कर रहा था। उस शास्त्रविरूद्ध साधना के मार्ग पर चल रहा था। रास्ते में अर्थात् भक्ति मार्ग में एक दिन तत्वदर्शी सन्त मिल गए। उन्होंने शास्त्राविधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रूपी दीपक दे दिया अर्थात् सत्य शास्त्रानुकूल साधना का ज्ञान कराया तो जीवन नष्ट होने से बच गया। सतगुरू द्वारा बताये तत्वज्ञान की रोशनी में पता चला कि मैं गलत भक्ति कर रहा था। श्री मद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं, उनको न तो सुख होता है, न सिद्धि प्राप्त होती है और न ही गति अर्थात् मोक्ष की प्राप्ति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है। फिर गीता अध्याय 16 श्लोक 24
में कहा है कि अर्जुन! इससे तेरे लिए कृर्तव्य और अकृर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं।

जो उपरोक्त साधना यह दास (संत रामपाल दास) किया करता था तथा पूरा हिन्दू समाज कर रहा है, वह सब गीता-वेदों में वर्णित न होने से शास्त्र विरूद्ध साधना हुई जो व्यर्थ है।




कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।

इसलिए गुरू जी से वेद शास्त्रों का ज्ञान पढ़ना चाहिए जिससे सत्य भक्ति की शास्त्रानुकूल साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाए।

Saturday, July 11, 2020

Bible

Bible



Supreme God in Christianity According to the Bible

Supreme God in Christianity According to the Bible
When we talk about supreme God in Christianity, then these questions come automatically in our mind like

Who is God?
Why do we need to know about him?
Are God and Jesus the same?
Has anyone seen God?
These questions have remained a mystery for all of us. But here all of these would be answered with proofs. All over the world, people are in search of the Supreme God, whether they are theist or atheist. Everyone needs God whether for money, mental peace or salvation. This article would be a complete solution for you if you want to know how can we reach God and get complete salvation.


But first, Let us give you a Brief Description of Christianity
The followers of Jesus Christ are known as Christians. Jesus was born circa 6 B.C. in Bethlehem. His mother was Mary. Christians believe Jesus was born through Immaculate Conception by an angel. Mary and Joseph were Jews. Jesus was given the knowledge of Injeel. 

Most of Jesus's life is told through the four Gospels of the New Testament Bible, known as the Canonical gospels, written by Matthew, Mark, Luke, and John.

Throughout the New Testament, there are trace references of Jesus working as a carpenter while a young adult. It is believed that he began his ministry at age 30 when he was baptized by John the Baptist, who upon seeing Jesus, declared him the Son of God.

When Jesus grew up, spirits used to enter his body and they used to make prophecies and do miracles. Jesus preached about one God. As Jesus continued his preachings, the crowd became larger and they started calling him the son of David and as the Messiah.
Bible
Bible
Who is God in the Bible?
After reading about Jesus and Jehovah are not complete Gods, the question which arises here is 

Who is complete God?

The Holy Bible gives the answer to this question. Let's find out.

Iyov 36:5 - Orthodox Jewish Bible (OJB)

See, El is Kabir, and despiseth, not any; He is Kabir in ko’ach lev (strength of understanding).

Translation: Supreme God is Kabir, but despises no one. He is Kabir, and firm in his purpose.

In all Bible translations, the word Kabir has been translated as "Mighty" or "Great" whereas Kabir is the original name of Supreme God. 

Conclusion: This verse of the Bible proves that Kabir is Complete God. The one who worships God Kabir by taking initiation from the complete saint sent by him gets complete salvation. After attaining salvation that souls rest in peace in the eternal abode Satlok forever. The throne of God is in Satlok.

God Kabir met Jesus and took his soul to Satlok. On their way, God Kabir made him see his ancestors David, Moses, Abraham, etc. in the Pitra Lokas. Then God took him to Satlok. But Jesus did not have faith in Lord Kabir. He did not believe him to be complete God, but he admitted that God is one. When he came back from Satlok he preached about one God and talked about salvation. After the crucifixion, he only pleaded God to forgive his children for all the harsh deeds.

Wednesday, July 8, 2020

महाशिवरात्रि का व्रत

महाशिवरात्रि का व्रत
Maha Shivratri एक अनोखा उत्सव है जिसमें लगभग सभी हिन्दू धर्म के व्यक्ति भाग लेते हैं। अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए सब इस व्रत को करते हैं। इस व्रत को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग विधि से मनाया जाता है जिनमें से एक विधि नीचे बताई गई है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति सुबह से लेकर अगली सुबह तक किसी प्रकार के आहार का सेवन नहीं करते। भगवान शिव की कथा सुनते हैं। भगवान शिव के शिवलिंग पर कच्चा दूध,बेलपत्र,फुल,फल आदि चढ़ाकर अपना व्रत पूरा करते है। जिससे उनको क्षणिक लाभ मिल जाते हैं।

भगवान से पूर्ण लाभ लेने के लिए हमें अपने शास्त्र के अनुसार भक्ति करनी होगी जिससे हमें जीवन पर्यंत मिलने वाले लाभ प्राप्त हो सकते है। महाशिवरात्रि के व्रत को करने से मिलने वाले लाभ का क्षणिक होने का कारण यह है कि यह हमारे शास्त्रों में जो भक्ति विधि लिखी है उनके विरुद्ध है।
हमारे शास्त्रों में लिखा है कि हमें किसी भी प्रकार के व्रत नहीं करना चाहिए। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में लिखा है कि जो व्यक्ति शास्त्रोंविधि को छोड़ कर मनमानी पूजा करते हैं उनको मोक्ष प्राप्त नहीं होता है.
गीता अध्याय 6 श्लोक 16 मैं लिखा है कि योग व भक्ति विधि ना तो बहुत अधिक खाने वाले की और ना ही बिलकुल ना खाने वाले की अर्थात उपवास व्रत करने की सिद्ध हो सकती है अर्थात व्रत करना सख्त मना है। फिर भी हम व्रत करते हैं जिसे हमें केवल क्षणिक लाभ मिलता है। इससे न तो हमारा मोक्ष होता है और न ही हमें जीवन पर्यंत लाभ मिलता है।

Wednesday, July 1, 2020

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन


आत्मा के परमात्मा से जुड़ने से शुरू होगा रक्षाबंधन
भारत जन्म भूमि है संस्कृति, संस्कारों, रीति-रिवाजों, त्यौहारों, वीरों और शहीदों की। साल के बारह महीनों में कई त्यौहार आते हैं। यह वही देश है जहां हर दिन किसी की बहन को दहेज की खातिर जला दिया जाता है। किसी की दूधमुंही बेटी और बहन की इज्ज़त को कोई भाई लूट कर उसे मार डालता है। यह वही भारत देश है जहां औरत को बहन और बेटी की नज़र से कम, काम – वासना और हवस मिटाने की वस्तु के रूप में अधिक देखा जाता है। यह वही देश है जहां स्वयं लड़कियां भी कम और छोटे कपड़े पहन कर बालीवुड में नाम, शौहरत और ढ़ेर सारा पैसा कमा कर समाज में कामुकता बढ़ाने का काम करती हैं। यह वही देश है जहां बलात्कारियों को सरकार की शह मिलती है और पीड़िता को परिवार समेत मरवा दिया जाता है।

रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है रक्षा करना
राखी को यदि धर्म से जोड़ कर देखा जाए तो यह हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। राखी का अर्थ है “रक्षा करना”। राखी के दिन एक भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करता है और बदले में, बहन अपने भाई की भलाई के लिए परमात्मा से प्रार्थना करती है। इस साल रक्षाबंधन 73वें स्वतंत्रता दिवस के ही दिन यानी 15 अगस्त को देश व विदेश में रहने वाले भारतीयों द्वारा मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन का उल्लेख हमें पौराणिक कथाओं में तो पढ़ने को मिल सकता है परंतु हमारे पांचों वेदों, गीता जी और गुरूग्रंथ साहिब जी में इसे मनाने की विधि और आग्रह कहीं वर्णित नहीं है।
अचंभित करने वाला विचार यह है कि रक्षाबंधन मानव अवधारणा पर आधारित दिन है कि एक रानी ने अपने राज्य और जीवन रक्षा के लिए एक राज्य के राजा से सहायता प्राप्त करने हेतु उसे अपने विवेक अनुसार एक धागा भेजा था।
अयोध्या पति राजा राम जी की सबसे बड़ी बहन शांता थी, जो श्रृंगी ऋषि के साथ विवाह करके चली गई थी। शांता ने राजा राम की हथेली पर कभी रक्षासूत्र नहीं बांधा था। रावण की बहन श्रुपनखा ने रावण को कभी राखी नहीं बांधी थी। रावण ने तो अपनी बहन की कटी नाक के कारण राम और लक्ष्मण से बदला लेना चाहा था। रावण ने तनिक विचार किए बगैर सीता का अपहरण किया और उस अबला बहन पर बारह वर्ष तक बदनियत रखी।
द्रौपदी को जुए में हारने के बाद पांडव असहाय थे और मुंहबोले भाई और गुरू श्रीकृष्ण जी रूक्मिणी के साथ चौसर खेलने में व्यस्त थे। तब द्रौपदी की करूण पुकार पर स्वयं पूर्ण ब्रह्म परमात्मा कबीर साहेब जी को श्रीकृष्ण रूप में आकर द्रौपदी की रक्षा करनी पड़ी थी।
कबीर परमात्मा द्रौपदी के बारे में कहते हैं “जै मेरी भक्ति पिछोडी़ होई, हमरा नाम न लैवे कोई।” अर्थात:- मेरी भक्त बेटी पर अगर आंच भी आई तो फिर मुझे कौन याद करेगा? प्रत्येक बहन और बेटी को सच्चे परमात्मा को पहचान कर उनकी शरण गहन करनी चाहिए क्योंकि परमात्मा से जोडा़ गया बंधन अटूट होता है।

रक्षाबंधन पैसे और उपहारों का लेन-देन है
अब यह त्यौहार नहीं केवल रस्म भर रह गया है। बाज़ार रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में पैसा कमाने की मंशा से भर जाते हैं। सभी छोटे बड़े व्यापारी,हलवाई, ब्यूटी पार्लर, मेंहदी लगाने वाले, राखी बेचने वालों का उद्देश्य रक्षाबंधन तक अपनी मोटी कमाई कर लेना भर रह गया है। समाज में औरत के प्रति पुरूषों की मानसिकता अति कमज़ोर है। अपनी बहन, बेटी और मां के अलावा दूसरे की बहन की इज्ज़त करने वालों की संख्या बहुत ही कम है।

रक्षा की प्रार्थना तो केवल परमात्मा से करनी चाहिए
आज के समय में शादी, पढा़ई और देश सेवा के उद्देश्य से दूर हुए भाई – बहन सालों साल एकदूसरे से मिलना तो दूर रक्षाबंधन के दिन भी आपस में मिल नहीं पाते हैं। देश की सेवा की खातिर बार्डर पर तैनात भाई रक्षाबंधन के दिन बहन और परिवार के पास छुट्टी न मिलने के कारण पहुंच नहीं पाते। कई बार समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों के माध्यम से पढ़ने और देखने को मिलता है कि रक्षाबंधन से पहले देशसेवा के दौरान फौजी भाई की शहादत के चलते उसका पार्थिव शरीर उसके घर पहुंचता है। कितने ही भाई- बहन सड़क दुघर्टना, बिमारी और अकस्मात मृत्यु के कारण मर जाते हैं। तब रक्षासूत्र इनकी रक्षा क्यों नहीं कर पाता। किसी बहन की करूण प्रार्थना उसके ईष्ट देव तक क्यों नहीं पहुंच पाती?

पूर्ण परमात्मा से ही करनी चाहिए सलामती की प्रार्थना
इस समय संपूर्ण विश्व गहन उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है। भारत के अधिकांश राज्य इस समय भंयकर तूफान और बाढ़ की चपैट में हैं। जिसके कारण लोग अपनों को और संपत्ति तक खो चुके हैं। ऐसे में एक बहन और भाई एक-दूजे की रक्षा करने में पूरी तरह से असमर्थ दिखाई देते हैं। वह दोनों असहाय हैं। प्राकृतिक आपदा हो या फिर किसी जानलेवा शारीरिक बीमारी के चलते बहन और भाई दोनों ही एक-दूसरे की मदद नहीं कर सकते। रक्षा करने वाला तो केवल परमात्मा है। जिनसे हमें प्रतिदिन, प्रतिक्षण अपनी और अपने परिवार की सलामती की दुआ करनी चाहिए ।

ये पिछलों की रीत हमें छोड़नी होगी
परमेश्वर कबीर जी ने बताया कि कलयुग में कोई बिरला ही भक्ति करेगा अन्यथा पाखण्ड तथा विकार करेंगे। आत्मा भक्ति बिना नहीं रह सकती, परंतु कलयुग में मन (काल का दूत है मन) आत्मा को अधिक आधीन करके अपनी चाल अधिक चलता है। कलयुग में मनुष्य ऐसी भक्ति करेगा जो लोकवेद पर आधारित होगी जिसमें दिखावा, खर्च तो अधिक होगा परंतु परमेश्वर से मिलने वाला लाभ शून्य होगा। लोकवेद और शास्त्र विरुद्ध साधना में लगा हुआ मनुष्य , समाज में प्रचलित झूठी दिखावटी भक्ति करेगा। त्योहार, जन्मदिन, दहेज देना और लेना, मांस भक्षण, नशा करना, पूजा, हवन, कीर्तन, जागरण, तांत्रिक पूजा, शनि, राहू, ब्रहमा, विष्णु, शंकर, दुर्गा जी पर आरूढ़ रहेगा और पूर्ण परमात्मा की भक्ति को नहीं समझ पाने के कारण सदा माया में उलझा रहेगा। शास्त्र विरुद्ध साधना के कारण ही मानव का बौद्धिक, शारीरिक और सामाजिक स्तर गिर गया है। पूर्ण परमात्मा से मिलने वाले लाभों के अभाव में प्राकृतिक आपदाएं मानव के लिए चुनौती बन गई हैं।

शास्त्र अनुकूल भक्ति विरासत की तरह है
कोयल पक्षी कभी अपना भिन्न घौंसला बना कर अण्डे-बच्चे पैदा नहीं करती। कारण यह कि कोयल के अण्डों को कौवा खा जाता है इसलिए कोयल को ऐसी नीति याद आई कि जिससे उसके अण्डों को हानि न हो सके। कोयल जब अण्डे उत्पन्न करती है तो वह ध्यान रखती है कि कहाँ पर कौवी ने अपने घौंसले में अण्डे उत्पन्न कर रखे हैं। जिस समय कौवी पक्षी भोजन के लिए दूर चली जाती है तो पीछे से कोयल उस कौवी के घौंसले में अण्डे पैदा कर देती है और दूर वृक्ष पर बैठ जाती है या उस घौंसले के आस-पास रहेगी। जिस समय कौवी घौंसले में आती है तो वह दो के स्थान पर चार अण्डे देखती है। वह नहीं पहचान पाती कि तेरे अण्डे कौन से हैं, अन्य के कौन-से हैं? इसलिए वह चारों अण्डों को पोषण करके बच्चे निकाल देती है। कोयल भी आसपास रहती है। अब कोयल भी अपने बच्चों को नहीं पहचानती है क्योंकि सब बच्चों का एक जैसा रंग (काला रंग) होता है। जिस समय बच्चे उड़ने लगते हैं, तब कोयल निकट के अन्य वृक्ष पर बैठकर कुहु-कुहु की आवाज लगाती है। कोयल की बोली कोयल के बच्चों को प्रभावित करती है, कौवे वाले मस्त रहते हैं। कोयल की आवाज़ सुनकर कोयल के बच्चे उड़कर कोयल की ओर चल पड़ते हैं। कोयल कुहु-कुहु करती हुई दूर निकल जाती है, साथ ही कोयल के बच्चे भी आवाज से प्रभावित हुए कोयल के पीछे-पीछे दूर चले जाते हैं। कौवी विचार करती है कि ये तो गए सो गए, जो घौंसले में हैं उनको संभालती हूँ कि कहीं कोई पक्षी हानि न कर दे। यह विचार करके कौवी लौट आती है। इस प्रकार कोयल के बच्चे अपने कुल परिवार में मिल जाते हैं। जो परमेश्वर का अंश होता है वह किसी भी युग काल में परमात्मा आते हैं उन्हें पहचान कर उनके पीछे हो चलते हैं। उन पर परमात्मा की प्रत्येक वाणी का प्रभाव होता है और व चले जाते हैं। जिस आत्मा को परमात्मा का ज्ञान समझ आ जाता है वह उनके पीछे हो चलता है। यही कहानी प्रत्येक परिवार में घटित होती है। जो अंकुरी हंस यानि पूर्व जन्म के भक्ति संस्कारी जो किसी जन्म में सतगुरू कबीर जी के सत्य कबीर पंथ में दीक्षित हुए थे, परंतु मुक्त नहीं हो सके। वे किसी परिवार में जन्मे हैं, सतगुरू की कबीर जी की वाणी सुनते ही तड़फ जाते हैं। आकर्षित होकर दीक्षा प्राप्त करके शिष्य बनकर अपना कल्याण कराते हैं। उसी परिवार में कुछ ऐसे भी होते हैं जो बिल्कुल नहीं मानते। अन्य जो दीक्षित सदस्य हैं, उनका भी विरोध तथा मजाक करते हैं।
कबीर परमात्मा ने कहा है कि,” जिस प्रकार शूरवीर तथा कोयल के सुत (बच्चे) चलने के पश्चात् पीछे नहीं मुड़ते। इस प्रकार यदि कोई मेरी शरण में इस प्रकार धाय (दौड़कर) सब बाधाओं को तोड़कर परिवार मोह छोड़कर मिलता है तो उसकी एक सौ एक पीढि़यों को पार कर दूँगा।

कबीर, भक्त बीज होय जो हंसा।
तारूं तास के एकोतर बंशा।।
संपूर्ण मानव जाति से अनुरोध है कि पूर्ण परमात्मा को पहचान कर शास्त्र अनुकुल भक्ति करें जिससे संपूर्ण परिवार लाभान्वित हो सकें।
(पूर्ण परमात्मा की पहचान के लिए अवश्य देखें साधना चैनल प्रतिदिन सांयकाल 7:30-8:30 बजे)

मछली एक पल भी पानी के बिना नहीं रह सकती तुरंत मर जाती है
मनुष्य जन्म परमात्मा द्वारा मनुष्य पर किया गया उपकार है। यदि मनुष्य जन्म प्राप्त प्राणी मनुष्य होने के अपने परम कर्तव्य को न समझ अन्य गलत साधना में लगा रहता है तो वह जन्म मृत्यु और चौरासी लाख जन्मों के कुचक्र में पड़ा रहता है। जन्म मृत्यु के रोग से बचाव का उपाय कोई रक्षाबंधन या भाईदूज नहीं कर सकता।
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में, गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि हे अर्जुन! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उस परमेश्वर की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परम धाम (शाश्वतम् स्थानम्) को प्राप्त होगा (अध्याय 18 श्लोक 62)। गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि तत्त्वज्ञान प्राप्ति के पश्चात् परमेश्वर के उस परम पद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर कभी संसार में नहीं आता। जिस परमेश्वर ने संसार रूपी वृक्ष की रचना की है, उसी की भक्ति करो।
(अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा)

आत्मा और परमात्मा का बंधन ही रक्षाबंधन है
परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि सर्व प्राणी कर्मों के वश जन्मते-मरते तथा कर्म करते हैं। कर्मों के बंधन को सतगुरू छुड़ा देता है।

सब ग्रन्थ कहैं प्रभु नराकार, ऋषि कहैं निराकारा।।
उत्तम धर्म जो कोई लखि पाये। आप गहैं औरन बताय।। तातें सत्यपुरूष हिये हर्षे। कृपा वाकि तापर बर्षे।। जो कोई भूले राह बतावै। परम पुरूष की भक्ति में लावै।। ऐसो पुण्य तास को बरणा। एक मनुष्य प्रभु शरणा करना।। कोटि गाय जिनि गहे कसाई। तातें सूरा लेत छुड़ाई।। एक जीव लगे जो परमेश्वर राह। लाने वाला गहे पुण्य अथाह।। परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि ,”एक मानव (स्त्री-पुरूष) उत्तम धर्म यानि शास्त्र अनुकूल धर्म-कर्म में पूर्ण संत की शरण आता है, औरों को भी राह (मार्ग) बताता है। उसको परमेश्वर हृदय से प्रसन्न होकर प्यार करता है। जो कोई एक जीव को परमात्मा की शरण में लगाता है तो उसको बहुत पुण्य होता है। एक गाय को कसाई से छुड़वाने का पुण्य एक यज्ञ के तुल्य होता है। करोड़ गायों को छुड़वाने जितना पुण्य होता है, उतना पुण्य एक जीव को काल से हटाकर पूर्ण परमात्मा की शरण में लगाने का मध्यस्थ को होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि विश्व के सभी मनुष्यों को परमात्मा की खोज करनी चाहिए। पूर्ण परमात्मा संत, तत्वदर्शी, जगतगुरु और सतगुरु रूप में प्रत्येक युग में जीवों के उद्धार के उद्देश्य से आते हैं। परिवार का कोई भी सदस्य जो सतगुरु की शरण में जाता है उसका यह कर्तव्य बनता है कि वह अन्य अपने भाई बहनों, माता पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों को भी परमात्मा के ज्ञान से अवगत कराएं।

मुख्य नोट: कबीर परमेश्वर जी कलयुग के इस ठीक के समय में जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में पृथ्वी पर उपस्थित हैं।

Thursday, June 11, 2020

Sikhism

Sikhism
Supreme God in Holy Book Guru Granth Sahib (Sikhism)

The light has come to clear the darkness about the Supreme God, the father of all souls, which we address as immortal and almighty god. The secret information about supreme God has been showcased via this article, and the information has been taken from the holy book, "Shri Guru Granth Sahib" (Sikhism). Here is a list of some important questions about Sikhism or Sikh religion, which you must know.

■ What is Sikhism? (Brief History & Information about Sikh Religion).

■ Where do Sikhs worship?
■ Guru of Nanak Dev Ji.

What is Sikhism? (Brief History & Information about Sikh Religion)
Let’s discuss about history and gain information about Sikh religion, or in other words, "What is Sikhism". 

Sikhism founded in the 15th-century is one of the four major religions of the world. The main objective of Sikhism is to connect people to the true Name of God. Guru Nanak Jayanti is the most sacred festival of Sikhism and is celebrated by Sikh and other Hindu devotees from all over the world. Guru Nanak Dev described the importance of Guru and said that without a Guru we cannot attain happiness and salvation. Sikhism rejects idolatry, the caste system, ritualism, and asceticism.
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश -


साहिब मेरा एको है। एको है भाई एको है।
आपे रूप करे बहु भांती नानक बपुड़ा एव कह।। (पृ. 350)
जो तिन कीआ सो सचु थीआ, अमृत नाम सतगुरु दीआ।। (पृ. 352)​
गुरु पुरे ते गति मति पाई। (पृ. 353)​
बूडत जगु देखिआ तउ डरि भागे।​
सतिगुरु राखे से बड़ भागे, नानक गुरु की चरणों लागे।। (पृ. 414)
मैं गुरु पूछिआ अपणा साचा बिचारी राम। (पृ. 439)




Wednesday, June 10, 2020

बाइबल

भगवान ने मनुष्य को शाकाहारी भोजन खाने के आदेश दिये हैं - पवित्र बाइबल
पवित्र बाइबल - उत्पत्ति

1:29 - फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं:

1:30 - और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।

Tuesday, June 9, 2020

कुरान

#Who_Is_AlKhidr
कुरान ज्ञान दाता भी अल-खिद्र (कबीर अल्लाह) की शरण में जाने को कहता है
कुरान शरीफ सुरह-काफ 18 आयत 60-82 में प्रमाण है कि हजरत मूसा का अल्लाह, मूसा को उससे ज्यादा इल्म (सच्चा तत्वज्ञान) रखने वाले के पास भेजता है । जिसका नाम अल-खिद्र (कबीर जी) है। देखें साधना चेनल पर शाम को 7:30 बजे से

Monday, June 8, 2020

भगवत गीता

गीता ज्ञान काल ने बोला

जब तक महाभारत का युद्ध समाप्त नहीं हुआ तब तक काल श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश रहा तथा युधिष्ठिर जी से झूठ बुलवाया कि कह दो कि अश्वत्थामा मर गया,भीम के पोते तथा घटोत्कच के पुत्र का शीश कटवाया। यह सर्व काल ही का किया-कराया उपद्रव था, प्रभु श्री कृष्ण जी का नहीं। अधिक जानकारी के लिए पवित्र पुस्तक    “जीने की राह”   निशुल्क प्राप्त करें या अवश्य सुनिए शाम को 7:30 से 8:30 तक साधना टीवी चैनल पर जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज अद्भुत और अलौकिक  मंगल प्रवचन।

Thursday, June 4, 2020

कबीर परमात्मा का प्रकट दिवस

Kabir Prakat Divas 2020
#623rd_GodKabir_PrakatDiwa
s
कबीर साहेब प्राकाट्य
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है, कि पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कुंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है 

Wednesday, June 3, 2020

कबीर परमात्मा का प्रकट दिवस मनाते हैं,जयंती नहीं।

#KabirPrakatDiwasNotJayanti

#1DayLeft_KabirPrakatDiwas

Parmeshwar Kabir Sahib Ji appeared on a lotus flower as an infant in Kashi 600 years ago and went from Maghar in the presence of thousands of people with his to Satlok. Flowers were found in the place of the body, the evidence of which exists in Maghar. Therefore, the manifest day of Kabir Sahib is celebrated, not the birth anniversary.

5 जून कबीर साहेब प्रकट दिवस

Tuesday, June 2, 2020

कबीर परमात्मा का ज्ञान

#DeepKnowlegde_Of_GodKabir

#2DaysLeft_KabirPrakatDiwas
🌿अद्भुत ज्ञान
कबीर परमेश्वर ने ही सतलोक के विषय में बताया कि ऊपर एक ऐसा लोक है जहां सर्व सुख है। वहां कोई कष्ट नहीं है। जिसकी गवाही संत गरीबदास जी ने दी है।
गरीब, संखो लहर महर की उपजै, कहर जहां न कोई।
दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।

5 June कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस

Guru Is God

गुरू बिन मोक्ष नही प्रश्न:- क्या गुरू के बिना भक्ति नहीं कर सकते? उत्तर:- भक्ति कर सकते हैं, परन्तु व्यर्थ प्रयत्न रहेगा। प्रश्न:-...