मजदूरी की दर से तात्पर्य प्रचलित मजदूरी की दर से है और मजदूरी प्राप्त करने की इच्छा का अर्थ प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने की इच्छा है। यदि कोई व्यक्ति उसी समय काम करना चाहे जब प्रचलित मजदूरी की दर पंद्रह रुपए प्रतिदिन हो और उस समय काम करने से इन्कार कर दे, जब प्रचलित मजदूरी बारह रुपए प्रतिदिन हो, ऐसे व्यक्ति को बेकार अथवा बेरोजगारी की अवस्था से त्रस्त नहीं कहा जा सकता।
बेरोजगारी की हानियाँ
बेरोजगारी की हानियाँ
बेरोजगार होने पर हम सरकार पर दायित्व होते हैं सरकार बेरोजगार युवाओं के ऊपर बहुत धन व्यय करती है जैसे गैहू को 18 रुपया में खरीद कर 1.5 रुपये में देती है । जिससे सरकार का बहुत नुकसान होता है।
बेरोजगारी के प्रकार
- संरचनात्मक बेरोजगारी : सरचनात्मक बेरोजगारी वह बेरोजगारी है जो अर्थव्यवस्था मे होने वाले संरचनात्मक बदलाव के कारण उत्पन्न होती है।
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